अध्यात्म से जुडी जानकारी
400 साल तक बर्फ़ में दबे रहे केदारनथ धाम के अनसुने रहस्य
भारत के उतराखंड में बसा केदारनाथ धाम केवल एक मंदिर नहीं बल्कि आस्था रहस्य चमत्कारों का अद्भुत संगम है हिमालयो की उन उचाइयो में 12 ज्योतिर्लिंग में हिमालय के ऊंचाइयों में एक यह पवित्र स्थल सदियों भक्तो को अपनी ओर खींचता आ रहा है पर क्या आप जानते है इस मंदिर के हर पत्थर के पीछे छिपे है अनसुने रहस्य जो केवल आस्था ही नहीं बल्कि चम्तकारो और विज्ञानो से भी जुडी है
2013 की आपदा
16 जून 2013 की वह काली रात जब उत्तराखंड के केदारनाथ में हर एक ओर विनाश कर दिया लेकिन इसी विनाश के बिच एक ऐसा चमत्कार घटा जिससे लोगो की आस्था और भी गहरा कर दिया उस रात केदारनाथ में बाढ़ का पानी मंदाकनी नदी ले उभरता हुआ आ रहा था भरी बारिश और चौराबाड़ी ग्लेशियर के पिघलने से और भी सिथति खराब हो गयी पानी पत्थर और मलबा शहर को चपेट में लेता जा रहा था जहा पहले पहाड़ो की सुंदरता थी वहां अब बाढ़ का तांडव था होटल घर दुकाने सब कुछ बहा ले गया करीबन छः हजार लोग मारे गए और लाखो लोग बेघर हो गए लेकिन वही आपदा केदारनाथ मंदिर को तबाह नहीं कर पाई जैसे ही पानी मंदिर की ओर बढ़ा अचानक एक विशाल शिला जिसे अब भीमशिला कहा जाता है पानी के बहाव के साथ मंदिर के पीछे आकर रुक गयी और बांढ़ के पानी को दो हिस्सों में बाट दिया उस क्षण मानो भगवान ने कोई चमत्कार कर दिया हो आसपास के सब ढह बह गए लेकिन केदारनाथ मंदिर सुरक्षित रहा यह घट्ना शिव भक्तो के आस्था को और मजबूत कर दिया
मंदिर का निर्माण
केदारनाथ मंदिर का निर्माण अत्यंत रहस्मयी माना जाता है इसके निर्माण के साथ जुडी पौराणिक कथाएँ इस स्थल को और भी आलौकिक और रहस्मयी बनाती है
धार्मिक ग्रंथो में वर्णित कथा के अनुसार महभारत के युद्ध में विजय प्राप्त करने के बाद युदिष्ठर को हस्तिनपुर का राजा घोषित किया गया लगभग चार दसको तक उन्होने शासन किया जब कृष्णा ने अपना देह त्याग दिया तब पांडवो ने अपना राज्य परीक्षित को को शौप दिया और द्रौपदी सहित भगवान शिव की खोज में चल पड़े वे कई स्थानों पर गए परन्तु जहा भी जाते शिवजी वहा से चले जाते इस खोज में एकदिन वो हिमालय तक आ पहुंचे तब भगवान शिव पांडवो को आता देख नंदी का रूप धारण कर लिए तब भगवान शिव को पाने के लिए भीम ने योजना बनाई उन्होंने विशाल रूप धारण कर अपने पैर केदार पर्वत के दोनों ओर फैला दिए ताकि कोई भी पशु उनके पैरो के बिच से निकल सके लेकिन नंदिरूपी भगवान ने ऐसा नहीं किया तभी भीम ने नंदी को पहचान लिया और पकड़ने का प्रयाश किया लेकिन शिव जी धरती में समाने लगे तभी भीम ने उनका पिछले हिस्सा पकड़ लिया भगवान शिव पांडवो की भक्ति से प्रसन्न हुए और उन्हें दर्सन देकर उनके पापो से मुक्त कर दिया तभी से भगवान शिव यहाँ नंदी के पीठ के रूप में पूजे जाते है इसी वजह से केदारनाथ का शिवलिंग बाकि शिवलिंगो से अलग है कहा जाता है जब पांडवो को भगवान् शिव ने पापो से मुक्त किया तब पांडवो ने केदारनाथ मंदिर का निर्माण करवाया
अविरत दीपक
हर साल जब केदारनाथ मंदिर का कपाट सर्दियों में बंद हो जाते है तो मंदिर के अंदर जलने वाला दीपक अगले छः महीने बिना बुझे रहता है जबकि कोई भी व्यक्ति वहाँ मौजूद नहीं होता और इतना ही नहीं जब मंदिर का कपाट बंद रहता है तो शिवलिंग की पूजा कौन करता है ये रहस्मयी घटनाये आज भी लोगो के लिए आश्चर्य का विषय है
पौराणिक कथाओ के अनुसार जब सर्दियों के दौरान मंदिर का कपाट छः महीनो लिए बंद हो जाता है तब देवता और गंधर्व यहाँ आकर भगवान् शिव की पूजा करते है जब मंदिर में आम लोगो की पूजा हो जाती है तब भगवान देवताओ और गन्धर्वो के साथ यहाँ निवास करते है

