हर साल भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि पर पूरा भारत और विदेशों में बसे भक्त श्रीकृष्ण जन्मोत्सव धूमधाम से मनाते हैं। यह सिर्फ एक धार्मिक त्योहार नहीं, बल्कि प्रेम, भक्ति और जीवन में धर्म के महत्व को याद दिलाने का अवसर हैं
जन्माष्टमी का महत्व
भगवान श्रीकृष्ण को विष्णु के आठवें अवतार के रूप में माना जाता है। वे न केवल महाभारत के नायक थे, बल्कि गीता के माध्यम से जीवन जीने की कला भी सिखाई।- आध्यात्मिक शिक्षा: सत्य, अहिंसा और करुणा का संदेश।
- सामाजिक प्रेरणा: अन्याय के खिलाफ खड़े होने की हिम्मत।
- भक्ति का महत्व: जीवन में ईश्वर पर पूर्ण विश्वास रखना।
कृष्ण जन्म की कथा
मथुरा के राजा कंस को यह भविष्यवाणी मिली कि उसकी बहन देवकी का आठवां पुत्र उसका अंत करेगा। भय से उसने देवकी और वसुदेव को कैद कर लिया और उनके छह पुत्रों को मार दिया। सातवें गर्भ में बलराम का जन्म हुआ और आठवें में श्रीकृष्ण ने।
कृष्ण के जन्म की रात अंधकार छा गया कारागार के द्वार खुल गए और वसुदेव ने यमुना पार कर उन्हें गोकुल में नंद-यशोदा को सौंप दिया।
पूजा-विधि और व्रत
- व्रत – भक्त दिनभर व्रत रखकर फलाहार करते हैं।
- मध्यरात्रि पूजा – भगवान का जन्म आधी रात को माना जाता है, इसलिए इसी समय विशेष आरती होती है।
- झूला सजाना – कान्हा के लिए फूलों से सजा हुआ पालना तैयार किया जाता है।
- भजन-कीर्तन – मंदिरों और घरों में भक्ति गीत गाए जाते हैं।
- दही-हांडी: महाराष्ट्र में यह सबसे बड़ा आकर्षण है, जहां युवा पिरामिड बनाकर मटकी फोड़ते हैं।
- मंदिर सजावट: वृंदावन, मथुरा और द्वारका के मंदिरों में खास रोशनी और फूलों की सजावट होती है।
- कृष्ण लीला: श्रीकृष्ण के जीवन की घटनाओं का मंचन।
2025 में जन्माष्टमी की तिथि और समय
- तिथि: 15 अगस्त 2025 (शुक्रवार)
- अष्टमी प्रारंभ: 14 अगस्त सुबह 11:35 बजे
- अष्टमी समाप्त: 15 अगस्त दोपहर 01:58 बजे
- रोहिणी नक्षत्र: 14 अगस्त रात 10:45 बजे से 15 अगस्त रात 12:18 बजे

